दिल्ली में अगस्त 2025 से होगी Artificial बारिश क्या है Artificial बारिश और कैसे होती है

दिल्ली में प्रदूषण इतना बढ़ गया है की उच्चतम स्तर को पार कर गया है इसी के समाधान के रूप में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए क्लाउड सीडिंग की तैयारी हो रही है। यह दिल्ली के लिए पहली बार ऐसा होगा की जब दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारी कर रही है। जिसको दिल्ली पर्यावरण विभाग और IIT कानपूर के बिच सहयोग से ये Artificial बारिश कराई जाएगी और इसका टाइम तय किया जय था जुलाई 2025 लेकिन मौसम के खराबी के कारण इसे अगस्त 2025 को करने की तैयारी की जा रही है। इस पहल को दिल्ली के पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण कदम मन जा रहा है। जिसका उदेश्य दिल्ली में हुए प्रदूषण नियन्त्र उपायों से सिमित सफलता मिलने के बाद जहरीली वायु को साफ करना है।

Cloud Seeding क्या है

क्लाउड सीडिंग एक मौसम परिवर्तन तकनीक है जिसमे रसायनिक पदार्थों को हवाई जहाज , राकेट या ड्रोन द्वारा बादलो में छोड़ा जाता है। जिससे पानी की बुँदे एक जगह इकट्ठा हो जाती है और बारिश बनकर धरती पर गिरता है। वैश्विक अध्ययनों और IIT कानपूर के अनुसार क्लाउड सेडिंग की सफलता दर 60% से 70% तक है। जो मौसम और बादलो पर बहुत अधिक निर्भर करता है।

Cloud Seeding कैसे काम करता है

आइये हम आपको क्लाउड सीडिंग को चार चरणों में समझते है

1. बादल होने चाहिए क्लाउड सीडिंग तभी काम करता है जब आसमान में बादल रहता है। और वो बादल अधिक मात्रा में बारिश नहीं कर पा रहे है।

2. रसायन डाले जाते है – क्लाउड सीडिंग के लिए Silver Iodide (सिल्वर आयोडाइड ) या Dry Ice (ड्राई आइस ) जैसे रसायन बदलो में हवाई जहाज के माध्यम से छोड़ा जाता है।

3. संघनन की प्रक्रिया होती है – जब ये रसायन बादलो के साथ मिल जाते है तब छोटी छोटी पानी के बूंदो को एक जगह इकठ्ठा करते है। जब ये रसायन बदलो में जाते है तब पानी की भाप जमकर बूंदो में बदल जाते है। और जब ये पानी की बुँदे भरी हो जाती है तब गुरुत्वाकर्षण के कारण बारिश के रूप में धरती पर गिरता है।

4. कृत्रिम बर्षा – जब पर्याप्त बुँदे हो जाती है तब वे जमींन पर बारिश के रूप में गिरती है जिसे कृत्रिम वर्षा कहते है।

धन्यबाद

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